The National Panchayat

“बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।” Dr Bhimrao Ambedkar

2014 के बाद से भारत में टीवी न्यूज पत्रकारिता की छवि बेहद चिंता जनक रही है विशेष कर हिंदी न्यूज चैनलों की, जहा एक नही कई बड़े नामी पत्रकारों ने या तो इस्तीफा दिया या तो उन्हे चैनलों से निकाल दिया गया चैनल मालिको द्वारा।

2018/19 के बाद टीवी मीडिया के लिए एक शब्द का इस्तेमाल बेहद किया जाने लगा सोशल मीडिया पर (गोदी मीडिया) ये नाम रवीश कुमार पूर्व (NDTV) के जाने माने पत्रकार द्वारा दिया गया वह नाम जो आज 2024 तक भी बेहद लोक प्रिय है। 

क्यू है?

उसका एक बड़ा कारण है लोगो को नजर आना की टीवी पत्रकारिता अब समाप्ति की ओर है, जाना जाता है की जिन लोगो ने टीवी पत्रकारिता छोड़ दी या जिन्हे निकाल दिया गया उनके ऊपर बेहद दबाव थे सत्ता पक्ष धारी दल बीजेपी के द्वारा कुछ में सीधा सीधा बीजेपी के किसी नेता ने उनसे बात की कुछ में उन चैनलों के मालिको को सरकार ने दबाव डाला। इन सब की हम पुष्टि नहीं कर सकते इसके लिए जनता को खुद सोचना होगा।

इस माहौल में यूट्यूब सोशल मीडिया एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आया और इन बड़े पत्रकारों ने कुछ नए और कुछ अन्य लोगो ने यूट्यूब पर कवरेज करना शुरू की।

जहा लोग आज लाखो करोड़ की संख्या में न्यूज देखने जा रहे है, याद रखे इन लोगो को टीवी पत्रकारिता पर अब भरोसा नही रह गया है।

उन्ही में से कुछ आज हम टॉप 10 लाइव हिंदी न्यूज चैनलों पर नजर डालेंगे।

Top 10 हिंदी न्यूज चैनल (Youtube) पर

 

The National Panchayat

 

***रवीश कुमार (Ravish Kumar) 2022***

से यूट्यूब पर आधिकारिक तौर पर तब जुड़े जब ये खबर सामने आने लगी की NDTV को मौजूदा सत्ता दल के समर्थक गौतम अडानी ने खरीद लिया है, हालाकि वो पहले से ही सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक हिंदी पत्रकारिता के लिए मशहूर थे और उन्हें कई अवॉर्ड उन्हे मिल चुके है जिनमे सबसे बड़ा (Ramon Magsaysay Award)

***ध्रुव राठी (Dhruv Rathee) 2014***

इन्होंने सोशल मेडियाकपार बेहद कम उम्र में 2014 से वीडियो बनानी शुरू करी हालाकि ये कोई पत्रकार नही है, पर फिर भी इनकी कमेंट्री लॉजिक और रीजनिंग पर आधारित होती है, और समाज के कई मुद्दों पर अपनी बात रखते है इनके सबस्क्राइजर की संख्या आज करोड़ में हैं

***अजीत अंजुम (Ajit Anjum) 2020***

इन्हे भी रवीश कुमार की तरह टीवी पर देखा जाता रहा है और 2020 से यूट्यूब पर है।

***न्यूज लॉन्ड्री (News Laundry) 2011

***द वायर (the wire) 2015***

ये दोनों ऑफिशियल न्यूज एजेंसी है दोनो जो सबस्किप्श पर आधारित है आज कई बड़े खुलासे इन दोनो चैनलों के नाम है, जिसकी वजह से इनके ऊपर कभी सीबीआई कभी इकॉम टैक्स की करवाई सरकार द्वारा की गई।

सरकार की नाक में दम करने वाले ऐसा चैनल है जिसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग, फैक्ट चेक, in-depth स्टोरी करना और इंटरव्यू के द्वारा जनता के सामने सच और गोदी मीडिया की हसीन कहानियों पर से पर्दा उठाता है।

 

***नेशनल दस्तक (National Dastak) 2014***

बहुजन समाज का सबसे बड़ा न्यूज चैनल जिसकी संख्या एक करोड़ पोहंचने वाली है, समाज के निम्न जातियों की आवास और अल्पसंख्यकों, पिछड़ों के मुद्दे सामने रखता है, जिन्हे शुरू से आवाज नही मिली टीवी या सोशल मीडिया पर।

***सत्य हिन्दी (Satya Hindi) 2018***

***डीबी न्यूज (DB Live) 2016***

यहां आप गोदी मीडिया में प्रचलित गंदी और समाज में हिस्सा पैदा करने वाली Debate बहस नही देखेंगे, बल्कि देश के जाने माने पुराने और गंभीर विषय पर जानकारी रखने वाले पत्रकार संपादक और राजनीतिक विश्लेषकों को सुनेंगे।

***अभिसार शर्मा (Abhisar Sharma) 2009***

से यूट्यूब पर मौजूद है और देश की राजनीति पर अपनी तीखी टिप्पणी के लिए जाने जाते है।

 

***प्रसून वाजपेई (Prasun Bajpai) 2019***

2019 से यूट्यूब पर जिनका अपना ही एक अलग अंदाज है सत्ता से सवाल करने के लिए।

सूची इससे भी बड़ी है पर इन चैनलों को सत्ता पक्ष और उनके आईटी सेल द्वारा इन्हे कई कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा इन्हे कई गलियां दी गई समाज में इनकी छवि खराब करने के लिए इन्हे कभी देश द्रोही कभी वामपंथी कभी कांग्रेसी कहा गया।

इनकी चुनौतियां केवल यही तक नही है इनको आर्थिक रूप से जानता पर निर्भर रहना पड़ता है, और सबस्क्राइब करके लोग इन्हें आर्थिक सहायता देते है, तभी ये चैनल निष्पक्षता के साथ स्वतंत्र रूप से काम कर पाते है।

इन्हे किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता प्राप्त नही होती टीवी चैनलों की तरह।

ये तमाम चैनल्स सिर्फ यूट्यूब पर ही नहीं बल्कि फेसबुक, इंस्टाग्राम X(ट्विटर) पर भी मौजूद हैं।

समय समय पर देखा गया है की YouTube और Meta पर इन चैनलों की reach कम करने content डिलीट करने का आरोप है, यूट्यूब गूगल(Google) गुरुग्राम में काम करने वाले कंटेंट मॉडरेटर अक्सर इन चैनलों का कंटेंट हटाने की कोशिश करते है, ये एक बड़ा मुद्दा है गूगल और Meta जैसी कंपनियों के लिए।

मौजूदा वक्त में देश के नागरिकों को अपने विवेक का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है, और सभी प्रकार की खबरों पर यकीन करने से पहले चाहे वे गोदी मीडिया की हो या सेकुलर मीडिया की उन्हे खुद परखना चाहिए तमाम रिसोर्सेज का इस्तेमाल करके।

हम किसी भी प्रकार की पुष्टि नही करते ये सभी खबरे लोगो के बीच में मौजूद है और सोशल मीडिया पर प्रचलित है पहले से ही।

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