आखिर कार गोदी मीडिया को जिस वजह से नींद नहीं आ रही थी आज उस पर विराम लग गया राहुल गांधी अमेठी से नहीं रायबरेली से चुनाव से लड़ेंगे ।
गोदी मीडिया और की YouTubers राहुल गांधी की खबर मिलते ही इस बात का आकलन करने लगे की क्या राहुल गांधी दर गए है जो अमेठी से चुनाव नहीं लड़ रहे इस बारी।
इस सबका विश्लेषण आज सभी कर रहे है, पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश सामवेद का विश्लेषण बेहद गंभीर और विचार योग्य है। उनका विश्लेषल दर्शाता है की इंडिपेंडेंट मीडिया और गोदी मीडिया दोनों को ही कोई खबर चलते हुए तर्कतापूर्ण विचार करके न्यूज बनाने की आवश्यकता है।
कई youtubers का विश्लेषण Rahul Gandhi पर चिंताजनक है उनकी टिपपड़ियों से मालूम चलता है की, की बारी हम विडिओ बनाने की जल्द बाजी मे किसी विषय पर घंबहिरता पूर्वक विचार करना भूल जाते है।
क्या कोई यह विचार कर रहा है की बीजेपी 370 के नाम पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी आज जिनके लिए 370 का कानून लाई थी वही से चिनाव नहीं लड़ रही है भाग गई कश्मीर की तीनों सीटों से?
उनकी आधे घंटे की विडिओ को हमने काम शब्दों मे समझने की कोशिश की है।
3 मई से जबसे जबसे ये बात निकल कर समें आई की राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे तब से मैन्स्ट्रीम मीडिया (गोदी मीडिया ) और यूट्यूब जो मीडिया है जिसे निसपक्ष मीडिया है वो भी राहुल गांधी पर सवाल खड़े करने लगे।
बाद मे प्रधानमंत्री मोदी तक ने कहा की की अमेठी से भाग गए।
अमित शाह ने कहा राहुल गांधी प्रचंड बहुमत से रायबरेली से हारेंगे ।
पर राजनीति भावनाओ से चलती से है रणनीति से चलती है, राजनीति ठोस सच्चाई से ठोस तथ्यों से चलती है, और राजनीति ठोस आधार से चलती है। कॉंग्रेस पार्टी ने निश्चित रूप से अमेठी और रायबरेली का एक नहीं दो दो बार सर्वेक्षण करवाया । पार्टिओ के सर्वेक्षण के अलावा प्राइवेट एजेंसी से भी सर्वे करवाया।
प्रियंका गांधी ने भी जो फैसला लिया है चुनाव न लड़ने का वो भी सही साबित होगा, क्यूंकी उनके भाषण देश मे सब जगह जो वो दे रही है उनकी धूम मची हुई है। दूसरी बात अमेठी के पास पैसे की भी कमी है, जो उम्मीदवर लड़ रहे है वे अपने पैसों से चुनाव लड़ रहे है, उनके पैसे केंद्र सरकार द्वारा इंकम टैक्स के जरिए अकाउंट फ्रीज़ कर रखे है।
बीजेपी और गोदी मीडिया जमकर राहुल गांधी पर हमला कर रहे है की दर कर भाग गए, इस समय दर का महोल तो है ही, इसमे तो कोई दो राय नहीं है। दो दो मुख्य मंतरिओ को जेल मे दल रखा है वो भी चुनाव से ठीक पहले जो भारत के इतिहास मे कभी नहीं हुआ। ऐसे समय मे इंडिपेंडेंट मीडिया को उनका मज़ाक नहीं उड़ान चाहिए जब महोल खराब हो और पैसे की भारी कमी चल रही है। ऐसे समय मे पार्टिओ को अपने लिए सही फैसला लेने का हक है ।
राजनीतिक रूप से रायबरेली काँग्रेस की विरासत रही है फिरोज गांधी इंदिरा गांधी, और सोनिया गांधी सभी वहा से चुनाव लड़ चुके है । k l शर्मा एक ऐसे काँग्रेस के कार्यकर्ता है जो अमेठी मे लोगों को नाम से जानते है जमीनी स्तर के नेता है जिससे एक ये संदेश निकला की एक ही परिवार के दो लोग को नहीं उतारा ।
एक गलती जो काँग्रेस ने की, की जब k l शर्मा जब नामांकन भर रहे थे तब राहुल गांधी या प्रियंका गांधी को उनके साथ होना चाहिए था। जो टिपपड़िया की रुरल पार्टी द्वारा उस भाषा का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए था।
अब लड़ाई स्मृति ईरानी के लिए मुश्किल हो गई है की उनके सामने कोई स्टार नेता नहीं बल्कि एक आम नागरिक जमीनी स्तर के नेता लड़ रहे है जिसपर उन्हे हमला करने मे मुश्किल आएगी।
पूरी विडिओ –