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अरविंद केजरीवाल गिरफ़्तार हैं तो क्या मोदी, अमित शाह भी एक दिन?

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अरविंद केजरीवाल गिरफ़्तार हैं तो क्या मोदी या अमित शाह भी एक दिन?

20/03/3024 शाम (4PM) एक यूट्यूब चैनल पर एक खबर चलायी जाती है, कि अरविंद केजरीवाल गिरवतार और उन्हें जेल में ईडी द्वारा भेज दिया गया हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ!

चैनल पर संजय शर्मा नाम के पत्रकार दावा करते हैं कि केजरीवाल को बीजेपी द्वार दबाव बनाया गया कि वो बीजेपी में आ जाए या फिर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव ना लड़े। पर केजरीवाल उनका कहा ना मानकर कांग्रेस से गठबंधन कर लेते हैं।

विपक्ष द्वारा भाजपा पर आरोप लगाया जाता है कि भाजपा ईडी का दुरूपयोग कर रही है

वही एक और  बड़ी खबर सामने आती है कि इनकम टैक्स कांग्रेस के सभी बैंक खाते सील कर देती है। दूसरी तरफ तमिलनाडु के राज्यपाल  का एक असम्वेधानिक कार्य  सुप्रीम कोर्ट  निरस्त कर देते है ।  ये सभी कार्य बीजेपी की हताशा और इलेक्शन बॉन्ड पर मिली उनको सुप्रीम कोर्ट से फटकार और हार  को दर्शते है।

दिल्ली की जनता सड़क पर है, किसान सड़क पर है, बेरोजगार सड़क पर है, बीजेपी के एमपी बीजेपी छोड़ कांग्रेस में जा रहे है या तो बीजेपी छोड़ रहे है। बीजेपी के आंतरिक और आरएसएस के लोगो से ज़मीन पर उन्हें फीडबैक मिल रहा है कि बीजेपी सत्ता से बाहर होने वाली है लोग परेशान हैं। क्या ये सब बातों का असर है कि बीजेपी प्रकार का काम कर रही है?

अरविन्द केजरीवाल को इस तरह जेल में डालने से कांग्रेस के बैंक खातो को सील करना चुनावो से ठीक पहले क्या ये साबित करता है कि बीजेपी तानाशाही की तरफ देश को ले जा रही है?

आख़िर बीजेपी कैसे भूल सकती है कि उसको केवल 38% लोगो ने वोट दिया बाकी के विपक्ष के पास है वोट?

विपक्ष ही नहीं रहेगा तो एक पार्टी की तानाशाही तो होगी! जैसे आज चीन और रूस के लोग परेशान हैं सड़क पर उतर नहीं सकते अपने हक के लिए क्या वैसा ही होने जा रहा है याहा भी?

इलेक्ट्रोल बॉन्ड यानी नए प्रकार के चुनावी चंदे के लिए बनाया गया कानून जो चंदा तो नहीं उगाही करने का धंधा था, जिसको सुप्रीम कोर्ट गैर कानून बता कर खत्म कर चुका है। हमारे सामने कि सबसे बड़ी कंपनी एक लॉटरी चलाने वाली, जुआ खिलाने वाली कंपनी ने हजारो करोड़ का बीजेपी को चंदा दिया।

युवाओं को सट्टा खिलाया जा रहा है, गुजरात के रास्ते उनके लिए हजार करोड़ की अफीम मंगाई जा रही है।

बचे हुए बेरोजगारों को धर्म के नाम पर आपस में लड़वाया जा रहा है।

ये सब एक ऐसी सत्ता की निशानिया है जो किसी भी सूरत में लोकतंत्र को ख़त्म करना चाहती है ताकि किसी एक पार्टी और किसी एक विशेष वर्ग के लोगो का राज कायम किया जा सके।

ये कटारवादी ताकतें कभी देश का भला नहीं कर सकतीं पाकिस्तान इसको झेल चुका है आज बर्बाद हो चुका है!

 ख़तरनाक भिड में आपके बच्चे किधर है? और अभी तक सब से बचे हुए हैं तो कब तक बचे रहेंगे?

विपक्ष सत्ता में आया तो क्या गारंटी है कि मोदी और शाह जेल में नहीं डाले जाएंगे अपने कुकर्मो के प्रति?

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