रणधीर हुड्डा की ‘वीर सावरकर’ नामक फिल्म का रिलीज होने की घोषणा होते ही उसने विवादों का आगाज़ कर दिया। इस फिल्म को लेकर राजनीतिक और सामाजिक उलझने सामने आने लगी हैं। यहां हम इस विवादित मुद्दे पर एक नजर डालेंगे।
कहानी की शुरुआत
‘वीर सावरकर’ फिल्म राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर अपना प्रभाव डालती दिखती है। यह कहानी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित है। पर ये कहना बैमानी होगी की ये सत्य पर भी आधारित हो सकती है। फिल्म के निर्माताओं का दावा है कि यह फिल्म उनके योगदान को समर्पित है और वे इसे उनके विचारों को समाज में प्रसारित करने का एक माध्यम है।
**विवाद:**
हालांकि, ‘वीर सावरकर’ फिल्म के रिलीज के पहले ही कई विवादों का सामना करना पड़ा। कई लोग इसे भाजपा की प्रोपेगेंडा में शामिल होने का एक माध्यम मान रहे हैं। वे मानते हैं कि फिल्म में वीर सावरकर के जीवन को गलत दिशा में प्रस्तुत किया गया है और इससे उनके संघर्षों और योगदान का मूल्य गिरा दिया गया है।
**कुछ तथ्य:**
वीर सावरकर के जीवन और कार्य के बारे में बहुत से विवाद हैं। उनके समर्थक और विरोधी दोनों अपने-अपने दावे रखते हैं। इसलिए, इस फिल्म को एक साक्ष्य या निष्कर्ष के रूप में देखना कठिन है।
Bollywood क्यू आज कल ऐसी फिल्में बना रहा है जिससे समाज में तनाव पैदा हो? या जिससे मौजूदा सत्ता दल को कोई न कोई लाभ मिले?
ऐसा क्यों देखने को मिल रहा है की जिस अभिनेता की फिल्म लगातार फ्लॉप होती है वो आखिर में इस तरह की फिल्मे करने को त्यार हो जाते है उनकी पिछली तीन मूवीज पर नजर डाले Radhe, Sergeant, Tera kya hoga lovely तो कोई बड़ा नाम नही बना पाई। उनके सोशल मीडिया X के अकाउंट पर फॉलोवर की कोई दिलचस्पी नजर नहीं आती वीर सवार कर फिल्म से पहले।
‘वीर सावरकर’ फिल्म एक विवादास्पद और राजनीतिक विषय पर आधारित है। इसे देखने से पहले, दर्शकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि इसके किरदारों की निर्माण की प्रक्रिया कितने विश्वसनीय है और कितना उन्हें साक्ष्यों और इतिहासी तथ्यों पर आधारित किया गया है।
ध्यान देने योग्य है कि फिल्म के रिलीज के बाद, विभिन्न दृष्टिकोणों से लोगों का प्रतिक्रियात्मक निर्णय हो सकता है। इसलिए, सोशल मीडिया, न्यूज़, और अन्य स्रोतों के माध्यम से विभिन्न विचारों और परिप्रेक्ष्यों को ध्यान में रखने की जरूरत है।