कई बीजेपी की सीटों से खबरे सामने आ रही है की बीजेपी के समर्थक घरों से बाहर नहीं निकले वोट देने, चुनावों के बाद कुल वोटों की गिनती लगभग 10% तक देखि गई।
लेकीन कल अचानक इलेक्शन कमिशन जागा और और उसने हर सीट पर लगभग 6% वोट भड़ता हुआ बताया, जो एक संदेह पैदा करता है, इसके खिला कोर्ट मे पेटीशन भी डाली जा रही है।
इस बीच मे YouTube पर बड़े बड़े वरिष्ठ पत्रकारों के आकलन को निचोड़ कर देखने पर मालूम चलता है की बीजेपी की –
उत्तर प्रदेश – 20
बिहार – 10
हरियाणा – 2
दिल्ली – 2
महाराष्ट्र – 8
राजस्थान – 5
मध्य प्रदेश – 5
इतनी सीट कम होती उन्हे दिख रही है साफ साफ, पर बड़ी बात ये है की इतनी कम से कम हो रही है सीट और दक्षिण भारत मे न के बराबर सीटे आएंगी बीजेपी की।
ईटनी ही सीट कम कर देते है तो भी बीजेपी बहुमत का बहुमत नहीं मिलती है। अभी बाकी राज्यों की बात करे तो उस पर भी बीजेपी को कोई आराम नहीं दिख रहा हालत ऐसी है की कश्मीर से चुनाव बीजेपी नहीं लड़ रही, जिनके लिए बीजेपी धार 370 लेकर आई थी, वही से बीजेपी चुनाव नहीं लड़ पा रही।
अब तक का सबसे बाद भारत मे वीवीआईपी सेक्स स्कैन्डल रेवनन रेड्डी कर्नाटक का एक केस सामने आता है जिसकी 2900 से ज्यादा विडिओ सामने आई है महिलाओ का शोषण करते हुए, पर देखने वाली बात ये है ये आदमी बीजेपी के सहयोगी दल से था और कुछ दिन पहले मोदी जी को पता होते हुए भी ऐसे आदमी के लिए वोट उन्होंने मांगा।
ईस सबको विस्तार से आप योगेंद्र यादव जी से आप DB Live पर और दीपक शर्मा समझेंगे, जो बाते आप मैन्स्ट्रीम मीडिया पर नहीं देख और सुन पाएंगे अंदर की खबरे।
सबसे बड़े मुद्दे मध्य भारत मे जो लोगों की भावनाओ को बीजेपी के खिलाफ वोट देने पर मजबूर कर सकते है।
- अग्निवईर
- किसान (msp)
- संविधान बदलने की बात
- महंगाई
- बरोजगरी
इन मुद्दों पर जब बीजेपी बचावि मुद्रा मे आने लगी तब बीजेपी के नेताओ ने खास कर मोदी जी ने बसवाड़ा से बेहद सांप्रदायिक भाषण दिया देश की 20% आबादी को घुसपाठिया बताया, काँग्रेस के खिलाफ झूठ बोल की वो महिलाओ के मंगल सूत्र छीन लेगी।
बिहार और झारखंड की राजनीति मे लेफ्ट यानि वामपंथी पार्टिओ मे बेहद महत्वपूर्ण cpiml को बिहार मे 3 लोक सभा सीटे मिली महागठबंधन की तरफ से । लेफ्ट की राजनीति बेहद महत्वपूर्ण है cpiml के राष्ट्रीय सेक्रेटरी से खास बात चीत सुनना बेहद जरूरी हो जाता है । उर्मिलेश सामवेद के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर मौजूद ये खास बात चित ।
देश के गंभीर वामपंथी नेताओं में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-एमएल (लिबरेशन) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य भी शामिल हैं। वह अपने विचार और व्यवहार दोनों में कई ‘वामपंथी रूढ़ियों’ को खारिज करते नजर आते हैं। महागठबंधन के हिस्से के रूप में, पार्टी, जिसके बिहार में 12 विधायक हैं, लोकसभा चुनाव में तीन संसदीय सीटों के लिए मैदान में है।
चुनावी फंडिंग, राहुल गांधी की राजनीति और बिहार-झारखंड के समीकरणों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश श्री भट्टाचार्य से खुलकर बात कर रहे हैं.
दलित वर्गों की चेतना इस चुनाव मे काफी बदलाव देखने को मिल रहा है, जैसे की नेताओ ने संविधान बदलने की बात की है तब से दलितों मे आदिवासीओ मे मनु स्मृति का भय बनने लगा है ।
बिहार मे अंबेडकर के प्रति भड़ी जागरूकता जो की मैंने मे माहराष्ट्र से काफी कम है पर एक अलग रूप मे दिख रही है जिस चेतना के चलते मोदी को कहना पद रहा है की हम संविधान को नहीं बदलने वाले, ऐसा करना होता तो हम 10 साल से सत्ता मे थे तो पहले ही कर सकते थे जो की एक हस्यात्मक बात दिखाई पड़ती है। क्यूंकी उनके पास राज्य सभा मे अभी तक बहुमत नहीं था वे ऐसा करने मे अयोग्य थे। दलित आदिवासी ही नहीं संविधान खतरे मे आया तो ओबीसी वर्ग भी गुलामी की और तेजी से भड़ेगा और स्वर्ण जातिओ को भी खतरा होगा क्यूंकी संविधान नहीं रहा तो किसी को भी बराबर संसाधन नहीं मीलने वाले जो जहा पैदा हुआ वही तक सिमट कर रह जाएंगे।