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“बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।” Dr Bhimrao Ambedkar

Election India

इस्लामिक कानून अगर इस्लामिक देशों में बैन है तो भारत में क्यू नहीं है?

इसी तर्क के मुताबिक EVM मशीन बनाने वाले देश खुद अपने देशों में EVM का इस्तेमाल नहीं करते तो भारत में क्यू होता है?

चिंता के विषय शायद दोनों ही है पर आपका ध्यान राजनेता किस मुद्दे पर ज्यादा ले जाना चाहते है और क्यू सवाल ये होना चाहिए।

भारत का संविधान जब सभी नागरिकों को आजादी देता है अपने अपने धर्मों का पालन करने की तब ये बात की उस मुल्क में ये ऐसे रहते है वैसे रहते है का प्रश्न ही बेकार हो जाता है। उदाहरण के लिए नेपाल के हिन्दुओ का रहन सहन खान पान बेहद अलग है भारत के हिन्दुओ से, कुछ इलाकों में बीफ भी खाया जाता है।

अगर कोई कानून किसी की आजादी छीनता है या किसी रीति रिवाज से देश और समाज को खतरा है तो उस कानून पर विचार करने के लिए कोर्ट और संसद है, वह लोग बैठे विचार करे चर्चा करे एक जांच बिठाए और बदल दे कानून, किसने रोक है?

पर वो लोग चाहते है की तुम ये बहस सिर्फ अपने आस पास के लोगों से करते रहो सड़कों पर एक दूसरे को गली निकालो, मारो एक दूसरे को, सड़क छाप बहसे हो,  मीडिया इसको एक घमबीर मुद्दा बनाकर दिखाए, और फिर वो लोग आकर तुम्हारे पास वोट मांगे इस मुद्दे पर।

यह सब कम खर्चीला है ज्यादा मुनाफा देने वाला तंत्र प्रचार है।

दूसरी तरफ evm एक चिंता जनक मुद्दा है जिस पर जनता को विमर्श करना चाहिए आपस में।

 

सवाल दिमाग में रख कर की क्या evm में सच में धानदली की जा सकती है?

क्या सच में evm म धानदली पाई गई है जैसा विपक्ष बता रहा है?

और जिस काँग्रेस ने evm का इस्तेमाल शुरू किया था तो क्या उन्होंने ऐसा जानबूझ कर किया था?

क्या पक्ष और विपक्ष की कोई साँठ गांठ तो नहीं की दोनों मिल कर इतने इतने साल राज करेंगे अपने लोगों को मुनाफा देंगे?

अगर evm हटा दिया जाए तो क्या विपक्ष के लोग भरोसा देंगे अपनी जीत का?

ये बात तो सच ही है की evm बनाने वाले देश खुद इसका इस्तेमाल नहीं करते, तो क्यू नहीं करते?

क्या उन देशों ने evm का इस्तेमाल छोटे देशों में मन मुताबिक सरकार बिठवाने के लिए करवाया?

क्या वह देश पहले वाली तकनीक का इस्तेमाल करते है या कोई नई तकनीक ईजाद की है उन्होने?

ये सवाल जनता खुद ढूंढ कर निकाले तो बेहतर होगा।

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